तेरा मुझसे है जन्मों का नाता कोई

तेरा मुझसे है जन्मों का नाता कोई

आधी रात को जब कॉल वेल बजी तो मै दौड़ कर दरवाजे के पास आया। रोज़ की तरह दरवाजा खोला तो प्रीती नशे की हालत में बड़बड़ाती हुई अपने कमरे में चली गयी।मैंने शांत मन से दरवाजा बंद किया ,जैसे कुछ हुआ ही न हो। ये उसका रोज का काम था।

दरअसल प्रीती और मेरी शादी को लगभग 5 वर्ष हो गए
मगर हम दोनों में कभी पति-पत्नी वाला रिश्ता नहीं रहा। प्रीति बड़े महानगर से है और मै एक छोटे शहर से हूँ।
प्रीति एक अच्छी पोस्ट पर है और मै मामूली सा क्लर्क ।
वह आधुनिक विचारों वाली है और मै पुराने ख्यालो का।कितना मुश्किल हो जाता है जब दो  विपरीत विचारों वाले इंसानो की आपस मे शादी होती है और उन दोनों को पूरी जिंदगी एक दूजे के साथ काटनी होती है ।

मै आने वाले कल के बारे में सोच कर परेशान हो जाता था। मगर दूसरे ही पल यह भी सोचने लगता कि पुराने ज़माने में भी तो शादियां होती थी वह भी बगैर एक दूसरे को देखे ,जाने समझे और दोनों ख़ुशी -ख़ुशी मिलजुल कर जिंदंगी की नइया सुख-दुख में पार लगाते। ऐसा मैंने बहुत से लोगो की जिंदगी में होते देखा है।

मैं सुबह का नाश्ता बनाता और प्रीति सोती रहती ।मैं अपना और प्रीति दोनों का लंच पैक करता । तब भी वह सोती ही रहती।मै अपना लंच बॉक्स ले कर ऑफिस के लिए निकल जाता । वह आराम से सो कर उठती तैयार होती और ऑफिस जाती । शाम को नशे की हालत में लड़खड़ाते कदमो से वह घर लौटती।
शुरू -शुरू में मुझे प्रोब्लेम्स हुई थी मगर जब प्रीती से मैंने बात की तो पता चला की वह किसी और लड़के से प्यार करती थी ,मगर उसके माँ बाप ने उसकी शादी मुझसे जबरदस्ती कर दी।
अपने प्रेम को न पाने की वजह से वह नशे का सहारा लेने लगी थी।ताकि उसकी याद न आये।
मैंने जब यह सुना तो कुछ देर तलक तो किंककर्तव्यविमूढ़ बैठा रहा । सोच नही पा रहा था कि क्या करूँ ...। मझे लगा मैंने प्रीति से शादी कर के अच्छा नही किया । वह किसी और को पसंद करती है शायद इस लिए वह मेरे साथ एडजस्ट नही कर पा रही है। मुझे उससे तलाक दे देना चाहिए ताकि वह अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी सके । मैं एक झटके से उठ आया और अपनी ससुराल फोन लगा दिया।
"" ट्रिन.....ट्रिन.....हेल्लो......?
""जी मै सुनील बोल रहा हूँ "
"हाँ बेटा.. मै प्रीति की माँ बोल रही हूँ"
"नमस्ते मम्मी जी ...कैसी हैं आप?"।
""जीते रहो बेटा...ठीक हीं हूँ बेटा , आपको तो पता ही है कि मै दिल की मरीज हूँ,ज़रा सा भी सदमा बर्दाश्त नही कर पाती हूँ।बगैर दवा के एक दिन भी नही चल सकती।खैर मेरी छोडो बेटा।।आप सब ठीक तो हो न ?"।
""हाँ मम्मी जी ...दरसअल वो.......मैं अपने बारे में कुछ कह पाता कि मम्मी जी बीच मे ही बोल पड़ी..
""हाँ बेटा ...मै समझ सकती हूँ प्रीति थोड़ा आधुनिक ख्यालो की है ,वह खुशनसीब है बेटा कि तुम्हारे जैसा लड़का उसे जीवन साथी के रूप में मिला । उसे तुम जैसा लड़का पूरी जिंदगी में नही मिल सकता था। कितने संस्कारी बेटा हो आप ।।हम सब को आप पर गर्व है बेटा
शादी के 5 साल हो गए हैं पर आपने मेरी बेटी के बारे में सब कुछ जानते हुए भी कभी कोई ऐतराज  नही किया । कहाँ मिलता है ऐसा दामाद।
इस से बढ़ कर परोपकार और क्या हो सकता है कि आप ने अब तक .........बात पूरी न हो पाई थी कि
फिर उधर से सुबकने की आवाज़ तेज हो गयी.....
""अरे नही माँ जी. आप रो क्यों रही हैं...आप चिंता न करिये । मै हूँ न "
और फिर फोन क़ट गया........
मै बहुत बड़े धर्म संकट में पड़ गया ,अब क्या करूँ एक तरफ उसकी वीमार मां और दूसरी तरफ मेरी जिंदगी।
ऑफिस में दिन तो क़ट जाता मगर जब शाम को घर आता तो रात बहुत मुश्किल से गुजरती।
शाम को प्रीति के आने से पहले मै खाना बना लेता था ।मगर इंतिज़ार करते करते जब काफी लेट हो जाता तो मै प्रेम चंद जी का कोई उपन्यास पढ़ने लगता।सच कहूं तो ये उपन्यास ही मेरी खाली जिंदंगी के हम सफर थे, ।
रोज़ की तरह मै शाम को ऑफिस से आने के बाद फ्रेश होता और खुद के लिए चाय बनाता और फिर अधूरा उपन्यास पढता।मगर आज जैसे ही मै घर आया ,गेट खोलने के लिए चाभी लगायी तो गेट पहले से ही खुला था ,मै हैरान हो गया। किसी अनहोनी की आशंका से मन व्याकुल हो उठा।धीरे धीरे क़दमों से अंदर दाखिल हुआ तो चौक गया। देखा तो पूरा आँगन गुलाब के ताजे फूलों से भरा पड़ा है ....मुझे लगा मै कोई सपना देख रहा हूँ ,आँखों पर यकीन नही हुआ तो उन फूलों को छूने लगा।
पर यह क्या यह तो सच मुच के फूल थे।

मै खुद पर यकीन कर ही रहा था कि तभी किसी ने मुझे पीछे से मेरे कंधे पर हाथ रखा ,मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो सामने प्रीति खड़ी थी। शादी का वही सुर्ख लाल जोड़ा जो 5 साल पहले उसने पहना था आज फिर से वही पहन रखा था..। अरे तुम.......?
इस से पहले की मै कुछ और बोलता वह मेरे क़दमों में बैठ गयी और गुलाब का एक अधखिला फूल मेरी तरफ बढ़ा कर कहा""आई लव यू सुनील....हैप्पी एनीवर्सरी ""
मुझे लगा मै कोई ख़्वाब देख रहा हूँ ,,,जो नींद खुलते ही टूट जाएगा।मुँह से कुछ नही बोल पा रहा था बस प्रीति के इस बदले रूप को देख रहा था..।
"" ....मैंने इन 5 सालों में तुम्हें बहुत दुख दिया था। मैं उस गलत फहमी में जी रही थी । जो मुझे गलत रास्ते पर ले जा रही थी। मुझे लगता था कि जिसे मैं प्रेम करती थी वह एक हीरो है और तुम उसके सामने कुछ भी नही हो । । एक मामूली सा क्लर्क जो आजीवन ऑफिस की उलझी हुई फाइलों के बोझ तले अपनी बोरिंग जिंदगी जीता है।
लेकिन मुझे होश तब आया। जब यह अहसास हुआ कि तुम एक पुरूष हो और जो अपनी नही बल्कि मेरे मम्मी- पापा की मर्यादा बचाने के लिए मेरी जैसी बेहूदा पत्नी को पिछले 5 सालों से झेल रहा है बगैर कोई शिकायत किये बगैर कोई थप्पड़ मारे। जिसे मैं हीरो समझती थी उसने जाने कितनी बार मेरे मुंह पर थप्पड़ मारी है बेइज़्ज़त किया है क्योंकि वह मुझे अपनी प्रोपर्टी समझता था और एक तुम हो कि ......................। इसके आगे प्रीति कुछ न बोल पायी और आँखों से अश्रुधारा निकल पड़ी.........।

Arjun Allahabadi
Story writer
Allahabad